बच्चे की किलकारियों से कोई भी घर खुशियों से भर जाता है लेकिन वो ख़ुशी आते आते अगर कही खो जाये तो इसका सबसे बड़ा दुःख तो मां को ही होता है। बदलती लाइफ स्टाइल और अन्य कई कारणों से व खान पान सही न होने के वजह से आज महिलाएं गर्भपात जैसी समस्या का सामना कर रही है ऐसे में आपके लिए इन बातों का जान लेना अति आवश्यक है (How to avoid abortion):
अपने खाने में रोज 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड जरूर लें इससे शिशु में जन्म विकार का खतरा कम होता है। गर्भधारण करने से पहले रोज विटामिन बी लेना शुरू करें, धूम्रपान से दूर रहें और धूम्रपान वालों के पास भी न रहे। दिनभर में 300 मिलीग्राम से काम मात्रा में कैफीन लें। अपने वजन को संतुलित रखें, साफ सफाई का ध्यान रखें जिससे फ़्लू और निमोनिया जैसे संक्रमणों से बचा जा सके। अगर आपका पहले भी गर्भपात हो चुका है तो बेहतर होगा कि आप सेक्स से दूरी बना लें। जब तक कि रक्त स्त्राव बंद नहीं हो जाता तब तक सेक्स न करें। इससे आपके शरीर को वापस नार्मल होने के लिए समय मिल जाएगा। गर्भपात जितना ज्यादा गंभीर होगा आपको सेक्स लाइफ उतनी ही देर से शुरू करनी होगी। गर्भावस्था के आखिरी हफ़्तों में गर्भपात होता है तो मां के लिए भी जानलेवा हो सकता है ऐसे में दुबारा कोशिश से पहले डॉक्टर से बात जरूर करें।
गर्भपात को कभी भी हल्के में न लें और गर्भपात हो जाने के बाद एक हफ्ते तक रोज अपने शरीर का टेम्प्रेचर चेक करें यदि 100 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा आये तो डॉक्टर को इस बारे में बताएं। ज्यादा तापमान का आना किसी इन्फेक्शन या कॉम्प्लिकेशन का संकेत हो सकता है जिसका तुरंत इलाज करवाना जरुरी है। गर्भपात के बाद महिलाओं को पेट में दर्द और ऐंठन भी महसूस हो सकती है जो गर्भाशय की दिवार को साफ करने के लिए होती है। अगर दर्द बर्दाश्त से बाहर हो जाय और आपको दर्द के साथ मतली भी हो तो आपको डॉक्टर की सलाह पर दवा लेनी चाहिए।
आमतौर पर देखा गया है कि गर्भपात के बाद महिलाओं को पीरियड की तरह ब्लीडिंग होती है। यह ब्लीडिंग स्पॉटिंग की तरह हो सकती है जबकि कुछ महिलाओं को अधिक ब्लीडिंग भी हो सकती है। अगर आपको चार हफ्ते तक ब्लीडिंग होती है और इसके लिए आपको पैड इस्तेमाल करने की जरुरत पड़ती है तो आपके लिए इसे नज़रअंदाज़ करना सही नहीं होगा इसके लिए आप तुरंत डॉक्टर से सलाह मश्वरा लें।
गर्भपात के बाद दुबारा कंसीव करने के लिए कम से कम तीन महीने इंतज़ार करना चाहिए। गर्भपात के बाद एक महीने पीरियड आने दें इससे गर्भाशय को ठीक होने में मदद मिलती है। गर्भपात आपको इमोशनली भी प्रभावित करता है इसलिए इस जख्म को भरने के लिए समय दें।