मासिक धर्म व सावधानियां | Menstruation and Sex
स्त्री में लैंगिक विकास होने से गर्भाशय की भीतरी परत लगभग निश्चित अवधि के बाद बारम्बार रक्तस्त्राव के रूप में निकलती है इस क्रिया को मासिक धर्म या मासिक रक्त स्त्राव कहते हैं। मासिक धर्म का चक्र साधारणतः 12-14 वर्ष की आयु में प्रारम्भ हो जाता है तथा 45-50 वर्ष की आयु तक चलता रहता है। मासिक धर्म से पहले मजबूत डिम्ब बनता है जो डिम्ब ग्रंथि से बाहर आता है और वहां पुरुष के शुक्राणु का इंतज़ार करता रहता है यदि शुक्राणु नहीं मिलता तो गर्भ नहीं ठहरता यही मासिक धर्म (Menstruation) है।
अब प्रश्न यह उठता है कि मासिक धर्म क्यों होता है ? इसका उत्तर देना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि यह प्रक्रिया रहस्यपूर्ण ढंग से होती है जिसे समझना मनुष्य की शक्ति के बाहर है। अतः चिकित्सक इतना कह देते है कि मासिक धर्म के बाद ही स्त्री गर्भवती हो सकती है और इसके होने से स्त्री का स्वास्थ्य ठीक रहता है।
स्त्री के योनि मार्ग से प्रत्येक 27-28 दिन बाद जो खून निकलता है वह लाल रंग का तरल पदार्थ होता है, असली खून नहीं। जिस समय यह स्त्राव बाहर निकलता है उस समय स्त्री के शरीर में झुरझुरी सी मालूम होती है, भग में हल्की सी पीड़ा होती है, शरीर में सुस्ती, आलस्य, चेहरे पर रूखापन, भूख कम लगना, पेट में वायु बढ़ना, जांघ, कमर आदि में हल्का-हल्का दर्द आदि पैदा हो जाता है यह सभी विकार कमोबेश सभी स्त्रियों में देखे जाते हैं। अतः स्त्रियों को इनकी ओर विशेष ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि ये शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।
पहली माहवारी होने के पश्चात आगे का मासिक धर्म प्रत्येक माह नियमित या अनियमित होता रहता है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि एक माह होकर दो-तीन माह तक नहीं होता या कई बार तो चार- पांच माह तक निकल जाते है। यदि प्रत्येक माह में 8-10 दिन तक आगे पीछे मासिक धर्म नहीं होता तो समझना चाहिए कि शरीर में कोई-न-कोई कमी है। पहले मासिक धर्म के बाद दूसरा मासिक धर्म कितना समय लेगा, इस बारे में स्त्रियां प्रायः अनजान रहती है इसलिये शादी से पहले और शादी के बाद स्त्रियों को एक चार्ट बना लेना चाहिए जिसमें प्रत्येक मासिक धर्म की तिथि नोट करती रहें, इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि स्त्रियों को अपने ऋतु चक्र का सही ज्ञान हो जाएगा।
मासिक धर्म के समय सावधानियां
भारतीय संस्कृति में धर्म और समाज में मासिक धर्म शुरू होने पर बहुत से काम न करने के निर्देश दिए गए है लेकिन पढ़ी लिखी और समझदार स्त्रियों का यह कर्तव्य बनता है कि वे अंधविश्वास से भरी इन व्यर्थ की बातों पर ध्यान न देकर सही कार्य करें। आजकल बाजारों में सैनिटरी नैपकिन्स मिलते हैं वे हल्के स्त्राव को सोखने वाले, साफ़ सुथरे और रोगाणुरहित होते हैं स्त्रियों को इनका प्रयोग करना चाहिए। प्रायः स्त्रियों में तो इस समय पुरुष संसर्ग की इच्छा नहीं होती और न पुरुष ही आमतौर पर मासिक समय स्त्री से संभोग करना पसंद करता है क्योंकि इस दौरान स्त्री के शरीर से एक विशेष प्रकार की गंध निकलती है जिसके कारण संभोग में अरुचि पैदा हो जाती है। कुछ लोग इस दौरान कंडोम लगाकर संभोग करने की सलाह देते है पर वह भी ठीक नहीं है क्योंकि इससे स्त्री को बहुत तकलीफ होती है। फिर भी यदि पति-पत्नी की रूचि सेक्स में है तो वह आराम से कर सकते हैं मैडिकली इसमें कोई खतरा नहीं है। मासिक धर्म के दौरान संभोग करना सही है या गलत, इसपर हमारी विडियो यूटयूब पर उपलब्ध है, जिसका फोटो लिंक ऊपर दिया गया है. आप उस लिंक पर क्लिक करके ये विडियो देखिए और अपनी जानकारी बढाइए.