मटर-पनीर की सब्जी क्या ऐसे ही बनती है?’ अशोक ने नाक चढ़ाते हुए कहा। प्रतिमा उसके पास बैठती हुई बोली-‘आज अचानक मेरे हाथ की सब्जी तुम्हें खराब क्यों लगने लगी?’
‘एक दोस्त आज आॅपिफस में मटर-पनीर की सब्जी लेकर आया था। उसका स्वाद गजब का था। तुम स्वयं को हर मामले में बदलो।’
यह कहकर अशोक चुप लगा गया। प्रतिमा को पति की बातें पहले बुरी तो लगीं, लेकिन जब ठंडे दिमाग से सोचा तो उसे भी लगा कि समय के साथ-साथ बदलना जरूरी है। इससे जीवन में एकरसता नहीं आ पाती।
यहां सिपर्फ मटर-पनीर की सब्जी की बात नहीं है। समय हर चीज के स्वाद और रूप में नयापन ला देता है। कल की उपयोगी और अच्छी चीजें बढ़ते समय के साथ अनुपयोगी हो जाती हैं और उनमें नयापन लाने से वे चीजें आज के परिवेश के अनुकूल पिफर से तैयार हो जाती हैं।
परिवेश और समय को जो पत्नी पकड़ना जानती है या बदलाव में रुचि लेती है या पुरानी चीजों को छोड़कर नई चीजों को अपनाने की आदी होती है, उसका पति उसे भरपूर महत्व देता है। कोई भी कार्य करने से पहले उससे सलाह लेता है और उसकी सलाह को प्राथमिकता देता है, क्योंकि पति की नजर में ऐसी पत्नी बु(िमान और चतुर होती है।
पति पर आप हावी होना चाहती हैं तो उसको यह यकीन दिलाना बहुत जरूरी है कि बाहर-भीतर जो कुछ भी बदल रहा है, उसका ज्ञान आपको है। आपमें अगर यह विशेषता नहीं है, तो आपका पति की नजरों में एक पत्नी का दर्जा तो बना ही रहेगा, लेकिन आप कभी भी उसकी एक अच्छी सलाहकार एवं मित्रा नहीं बन सकती हैं।
पति की दोस्त बनिए… हमसपफर बनिए जैसे शब्द सुनने को मिल तो जाते हैं, लेकिन क्या आप इनका भावार्थ भी जानते हैं? शायद नहीं जानते हैं, इसीलिए दुनिया के अध्किांश पति-पत्नी एक-दूसरे के सलाहकार या मित्रा नहीं बन पाते हैं। मैत्राीभाव का दांपत्य जीवन में उत्पन्न होना बहुत आवश्यक है। जहां मैत्राी भाव जैसी बात होती है, वहां पत्नी किसी विषय को लेकर पति को टोकती है या पति पत्नी के किसी कार्य की आलोचना करता है तो बात बिगड़ती नहीं है, क्योंकि मित्राता से मन में एक दूसरे को बर्दाश्त करने का जज्बा पैदा होता है।
प्रतिमा के हाथ की बनी सब्जी में नुक्स पति ने निकाला तो प्रतिमा को बुरा तो लगा कि इतने सालों से मेरे हाथ की बनी सब्जी पति खाता आ रहा है और आज दोस्त की बीवी के हाथ की सब्जी क्या खा ली, मेरी सब्जी को बकवास और खराब कह डाला। लेकिन अगले ही पल प्रतिमा ने यह कबूल कर लिया कि अशोक ने वही कहा है, जो सच है। ऐसा प्रतिमा ने दांपत्य जीवन में मैत्राी भाव के कारण ही सोचा। अगर उनमें बढ़िया वैचारिक तालमेल नहीं होता, तो शायद ही प्रतिमा अशोक के कहने का मतलब इतने अच्छे ढंग से समझ पाती।
आलोचना, शिकायत या उपदेश जो कुछ भी कह लें वहीं कारगर साबित होते हैं, जहां पति-पत्नी में वैचारिक तौर पर मित्राता होती है।
मित्राता नहीं तो बर्दाश्त करने की भावना भी नहीं। कौन ऐसे कोई किसी को बर्दाश्त करता है और आज के परिवेश में तो बिलकुल ही नहीं।
सरिता बेडरूम से बाहर आई तो ड्राइंगरूम में बैठा आदेश अचानक ही चहक पड़ा-‘अरे! कोई दूसरी ड्रेस पहनी होती।’
‘अपनी पसंद अपने पास ही रखो। सलाह देने का इतना शौक है, तो जाकर किसी और को दो…’ सरिता ने शुष्क लहजे में इन शब्दों को कहा।
आदेश चिढ़ गया। ईष्र्या और नपफरत सी उसके मन में उत्पन्न हो गई। पत्नी ने पति केे कमेंट्स को समझा नहीं, उफपर से खरी-खोटी भी सुना दी। पति-पत्नी के बीच जब भी एक-दूसरे को सुनने या सहने की प्रवृत्ति न हो तो समझिए वे सिपर्फ पति-पत्नी हैं, हमसपफर या मित्रा नहीं। आज कितने पति-पत्नी हमसपफर या मित्रा हैं।
टोकना भी दो तरह का होता है-एक तो वह, जो साथी को कुशल और एजुकेट करने के लिए टोका जाता है और दसूरा वह जो नीचा दिखाने के लिए प्वाइंट आउट किया जाता है। पति अगर पत्नी को आज के परिवेश के लिहाज से समझाता है और नई एवं बदली हुई चीजों का ज्ञान समय-समय पर उसे कराता रहता है तो पत्नी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि पति अपने साथ पत्नी को भी समय के साथ आगे बढ़ते हुए देखना पसंद करता है। ओल्ड, बासी, ठंडी, रुढ़िवादी आदि शब्द उन पत्नियों के लिए प्रयोग किए जाते हैं, जो नयेपन को पकड़ने में अपनी बेइज्जती समझती हैं और पति की ऐसी किसी भी सीख को नजरअंदाज कर देती हैं। पति का झगड़ा भी ऐसी पत्नी से ही होता है। नयेपन, आकर्षण, बदलाव और खूबसूरती को नकारना तथा अपनी जिद पर अड़े रहना या रुढ़िगत परंपराओं की दुहाई देकर पति की किसी भी तरह की बात को न मानना परस्पर मित्राता नहीं, दुश्मनी पैदा करता है। आज उन पति-पत्नियों के बीच खासकर मैत्राीभाव नहीं हैं, जो हमेशा निगेटिव ही बोलते हैं। यह काम तुम्हारे वश का नहीं है, अगर कहा नहीं मानोगे तो मुंह के बल गिरोगे, तुम्हारे वश का नहीं है अच्छा और स्वादिष्ट खाना बनाना आदि वाक्य पति-पत्नी दोनों के ही मन में खीझ पैदा करते हैं और ऐसी सोच तभी पैदा होती है या एक-दूसरे के प्रति ऐसे नकारात्मक शब्द तभी निकलते हैं जब मन में दूरियां हों, बदले की भावना हो, जलन और ईष्र्या हो। इस तरह की सोच आज के आधुनिक परिवेश की देन है, जहां पति-पत्नी सुशिक्षित होकर भी तलाक की मार झेल रहे हैं, अलगाव का विषपान कर रहे हैं और साथ रहकर भी साथ न होने की पीड़ा को झेल रहे हैं। मित्रा बनिए, दांपत्य जीवन को सुखमय संभावनाओं से भर दीजिए।