वृंदा ने टी.वी. आॅन किया तो कोई धरावाहिक आ रहा था। आध्े घंटे के सीरियल में उसने बस यही देखा कि एक शादीशुदा मर्द से दो कुंआरी युवतियां प्यार कर रही हैं और एक दूसरे सीन में एक शादीशुदा स्त्राी से दो युवा मर्द प्यार कर रहे हैं।
वृंदा का मूड आॅपफ हो गया। टी.वी. बंद कर वह बेडरूम से बाहर आ गई। वह एक अजीब-सी बेचैनी अपने अंदर महसूस कर रही थी। उसने आलोक का नंबर मिलाया-‘अपना ध्यान रखना…’
‘आज बड़ी हमदर्दी दिखाई जा रही है। कोई खास बात तो नहीं है?’ आलोक के इतना पूछते ही एक महिला सहकर्मी खिल-खिलाकर हंस दी। वृंदा ने हड़बड़ाए स्वर में कहा-‘यह किस महिला के हंसने की आवाज है…?’
‘इतना बड़ा आॅपिफस है। यहां महिलाओं की कमी तो है नहीं…लेकिन तुम इतनी इंक्वारी क्यों कर रही हो…?’ आलोक ने थोड़ी सख्त आवाज में कहा तो वृंदा ने ध्ीमी आवाज में यह कहकर पफोन रख दिया कि घर पर अकेली हूं न…घर जल्दी आ जाना।
घबराहट में वृंदा पति के प्रश्न का जवाब नहीं दे सकी और यह कहकर पफोन बंद कर दिया कि वह घर पर अकेली है। जल्दी आ जाना। जबकि उसके मन में कुछ और ही खिचड़ी पक रही है। आलोक जहां सर्विस करता है, वहां महिलाएं भी काम करती हैं। आलोक की किसी-न-किसी महिला से दोस्ती और पिफर प्यार हो सकता है। घर में सब कुछ है। आलोक उसका पूरा ध्यान रखता है, पिफर भी वृंदा का मन अशांत है। यह अशांति उसे टीवी के सीरियलों ने दी है।
ऐसे में आपको यह सोचने की जरूरत है कि हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है। धरावाहिकों की कहानियों में जिन पात्रों को जबर्दस्ती एक साथ दो-दो औरतों या पुरुषों से प्रेम करते दिखाया जाता है, रियल लाइपफ में ऐसा संभव नहीं है। क्योंकि आपने अब तक की अपनी लाइपफ में कितने स्त्राी-पुरुष को इतना भ्रष्ट देखा है, जो जान-बूझकर दो-दो बच्चों की मांओं या पिताओं से प्यार करने के लिए लालायित हों?
किसी लालच या मजबूरी में की गई शादी या प्यार की बात हम यहां नहीं कर रहे हैं। हम तो यहां यह बताना चाह रहे हैं कि जो आप पिफल्मों में या सीरियलों में काल्पनिक बेसिर-पैर के संबंधें को देखते हैं, उनका आपकी लाइपफ से कोई वास्ता नहीं है। वृंदा सीरियलों के दृश्यों और घटनाओं को देख-देखकर ही तो पागल सी हो गई है और निर्दोष आलोक उसे सपनों में भी दोषी ही नजर आ रहा है।
घर बिगाड़न्न् धरावाहिकों की टी.वी. पर भरमार है, जिन्हें महिलाएं ही अध्कि देखती हैं और किसी भी घटना को अपने पति से जोड़कर अचानक ही तनाव में आ जाती हैं।
प्रतिभा दोपहर से तनाव में थी। कभी बेडरूम में आ रही थी, तो कभी ड्राइंग रूम में जा रही थी। उसे कहीं भी चैन नहीं मिल रहा था। तभी उसकी एक सहेली का पफोन आ गया-‘कैसी हो प्रतिभा?’
‘क्या बताउफं तुझसे… आज तो मन बहुत ही अशांत है। अच्छा किया तुमने पफोन कर लिया।’
प्रतिभा के इतना बोलने पर सहेली ने सवाल कर दिया-‘आज तुम्हारा मन अशांत क्यों है?तुम्हारे पास तो सब कुछ है।’
‘अरे यार क्या बताउफं… अभी-अभी एक सीरियल देखा, जिसमें बाॅस अपनी सेक्रेटरी के साथ ही रोमांस कर रहा है… कहीं अंकुश भी अपनी सेक्रेटरी के साथ…’ यह बोलते-बोलते प्रतिभा की आवाज पफंस गई और वह गला सापफ करने लगी।
‘इन मर्दों का कुछ नहीं भरोसा… इन्हें पिफसलते देर नहीं लगती है।’ सहेली ने प्रतिभा की बात का समर्थन कर पफोन काट दिया। प्रतिभा अब तो और भी अध्कि परेशान और दुःखी हो गई। शाम को अंकुश के घर आते ही उसने सवाल कर दिया-‘सेक्रेटरी का जाॅब लोग औरतों को ही क्यों देते हैं?’
‘मुझे नहीं मालूम…’
‘सेक्रेटरी का जाॅब पुरुष भी तो कर सकते हैं?’
‘हां, कर सकते हैं…’
‘तो पिफर तुमने सेक्रेटरी के पद पर महिला को क्यों रखा है?’
‘तो क्या हो गया?वह भी तो इंसान ही होती है। आज तुमने महिलाओं के खिलापफ मोर्चा क्यों खोल रखा है?’ अंकुश ने पत्नी को आश्चर्य से घूरते हुए पूछा।
‘मुझे डर है कि कहीं तुम मुझे छोड़कर उससे शादी न कर लो…’ प्रतिभा के इतना कहने पर अंकुश गुस्सा हो गया-‘तुमने जरूर किसी सीरियल में ऐसा होते देखा होगा। तुम्हारे दिमाग की उपज तो यह हो नहीं सकती। सीरियलों की घटनाओं को रियल लाइपफ से जोड़कर देखना बंद कर दो वर्ना एक दिन पागल हो जाओगी।’
वास्तव में आज अध्किांश महिलाओं को सीरियलों ने रोगी बना दिया है। हर चीज को शक की निगाहों से देखने की उन्हें आदत-सी पड़ गई है। पति को तो वे शक की निगाहों से हर हाल में देखती हैं और उनकी गतिविध्यिों पर सदा ही नजर टिकी रहती है। पत्नी की इस जासूसी से पति की मनःस्थिति पर गलत प्रभाव पड़ता है। जो पति गलत नहीं है और पत्नी के प्रति पूरी तरह से समर्पित है अगर ऐसे में पत्नी उसकी जासूसी करते हुए पकड़ी जाती है, तो पत्नी के प्रति उसकी आस्था कम हो जाती है।
अच्छे-बुरे का पता लगाना अलग बात है और छुप-छुप कर जासूसी करना अलग चीज है। भंडा पफूटता है तो इमेज खराब हो जाती है। शरीपफ और स्नेही हृदय का पति पिफर जिद पकड़ लेता है कि जब इसे मुझ पर विश्वास ही नहीं है तो शरापफत का जामा पहन कर घूमने से क्या पफायदा?
कहने का तात्पर्य है कि कहीं पर कोई कुछ भी घटता हो तो उसे अपने साथ जोड़कर ऐसा न सोचें कि भविष्य में आपके पति या बच्चे भी इस तरह की हरकतें कर सकते हैं या कर रहे होंगे।
यह सच है कि हमारे सामने जो भी कुछ घटता है, वह हमें प्रभावित करता है और हम न चाहकर भी उसमें स्वयं को कहीं-न-कहीं महसूस करने लगते हैं। यह स्थिति खतरनाक साबित होती है। उसका पति अपनी सहकर्मी के साथ भाग गया, मेरा पति भी ऐसा कर सकता है, यह नकारात्मक सोच है। हर आदमी की सोच, नजरिया और स्वभाव दूसरे से भिन्न होता है। आपने देखा भी होगा-एक व्यक्ति नशेड़ी है, जुआरी है, औरतों का रसिया है और दूसरा कोई भी नशा नहीं करता है, उसमें कोई भी गंदी लत नहीं है, पिफर भी वे दोनों गहरे मित्रा होते हैं। हमारे भी कई ऐसे दोस्त हैं, जो शराब पीते हैं और खूब पीते हैं, पर हम शराब को हाथ भी नहीं लगाते हैं।
हमारा कहने का मतलब है कि आॅपिफस में कोई कर्मचारी गलत है या किसी का किसी से चक्कर चल रहा है तो आपके पति भी ऐसा कर सकते हैं, यह सोचना गलत है क्योंकि उनकी सोच उनके साथ होती है, आपका प्यार उनके साथ होता है, वे ऐसा करने से पहले सौ बार सोच सकते हैं। इस तरह के शौक तो वे लोग पालते हैं, जो शुरू से ऐसे ही होते हैं। जो गलत नहीं है और यदि किसी मजबूरी वश बहक गया है तो यह स्थिति लंबे समय तक के लिए नहीं होती है। आप पति के प्रति अपना नजरिया स्पष्ट एवं सापफ रखिए।
