रात के दस बज रहे थे। रोमा और नवीन बेडरूम में बैठे-बैठे एक-दूसरे को देख रहे थे। छेड़छाड़ भी शुरू थी। माहौल ध्ीरे-ध्ीरे रंगीन होता जा रहा था। ऐसे में नवीन ने रोमा से एक गिलास पानी मांगा। रोमा ने मना कर दिया-‘तुम खुद उठकर पानी ले लो। इतना-सा भी अपना काम नहीं कर सकते?’
नवीन का चेहरा उतर गया। चुलबुली और हसीन लगने वाली रोमा खराब लगने लगी। छेड़छाड़ बंद हो गई। माहौल बदरंग और बोझिल हो गया। नवीन ने उठकर पानी पिया और चुपचाप सो गया।

सेक्स शब्दों का खेल है। बहुत कम ही दंपत्ति इस बात को जानते हैं। वे समझते हैं कि सामाजिक एवं कानूनी रूप से वे एक-दूसरे के पति-पत्नी हैं तो किन्हीं भी हालातों में सेक्स का आनंद ले सकते हैं, लेकिन उनका यह सोचना गलत है क्योंकि हालात अनुकूल और हसीन न होने पर दूरियां बढ़ जाती हैं, मन में खटास पसर जाती है और उत्तेजनाएं ठंडी पड़ जाती हैं। पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए सुलभ नहीं रह जाते हैं।

किसी भी चीज के लिए सापफ मना कर देना एक तरह का निगेटिव संदेश है। पति जब कोई चीज मांगता है और पत्नी दो टूक शब्दों में यह कह देती है कि तुम इतना भी नहीं कर सकते या मैं नहीं कर सकती, स्वयं उठकर कर लो तब पति को करंट-सा छू जाता है। वह अंदर ही अंदर गुस्से से सुलग उठता है और पत्नी के प्रति उसके मन में जो भी कोमल भाव होते हैं, वे मिट जाते हैं। उनके स्थान पर पत्नी के लिए नपफरत पैदा हो जाती है। यह नपफरत पति के मन से सेक्स को धे-पोंछकर सापफ कर देती है।

मना करना एक अवगुण है, बुराई है और व्यक्ति की सबसे खतरनाक हैबिट है। बहुतों को आदत होती है छोटी-छोटी सी बात पर भी ‘ना’ कहने की। वे तो स्वभाववश मना कर देते हैं और सामने वाला अगले पल ही डिस्टर्ब हो जाता है। उसका दिल टूट जाता है। रोमांस और प्यार के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। जहां रोमांस नहीं… प्यार नहीं, वहां भला सेक्स का क्या काम?

इतना तो आप समझ ही लीजिए-पति को बात-बात पर मना करने की आदत सेक्सुअल लाइपफ के लिए किसी भी दृष्टि से लाभप्रद नहीं है। रोमा और नवीन के बेडरूम का माहौल बिलकुल ही हसीन था। वे एक-दूसरे को छेड़ भी रहे थे और ध्ीरे-ध्ीरे तन एवं मन से एक-दूसरे के करीब आते भी जा रहे थे। जब नवीन ने अचानक एक गिलास पानी मांग लिया और रोमा ने झट से पानी लाने से मना कर दिया, तो बात बिगड़ गई। नवीन का चेहरा उतर गया। मन में गुस्सा भर गया। रोमा उच्छृंखल और मुंहपफट लगने लगी। रंगीन माहौल को बदरंग रोमा के चंद शब्दों ने बना दिया। जो नवीन उसके तन की खूशबू से मदहोश उसको अपनी बांहों में भरने के लिए लालायित था, वह नवीन अब उससे ईष्र्या करने लगा।

इतनी जल्दी इतना बड़ा परिवर्तन किसने किया…?रोमा के शब्दों ने ही तो किया। अपने पार्टनर को किसी भी बात के लिए जल्दी मना न करें और यदि मना करना जरूरी ही हो तो मौके की नजाकत को समझें। रोमा ने समय और स्थान का ध्यान नहीं रखा। रात का समय था। दोनों एक-दूसरे में डूबने के लिए मूड बना रहे थे। नवीन ने पानी मांगा और रोमा ने मना कर दिया। अगर रोमा ने बेडरूम के हसीन माहौल और मूड को देखते हुए पानी लाकर नवीन को दे दिया होता तो पिफर उनके बीच और नजदीकियां बढ़ गई होतीं। नवीन का मूड खराब नहीं हुआ होता।

कुछ शब्द जीवन से जोड़ दिए जाएं तो लाइपफ अपने आप ही रोमांटिक बन जाती है और कुछ शब्द ऐसे भी हैं जो जीवन से जुड़ जाएं तो लाइपफ नरक बन जाती है। जीवन को रोमांटिक और सेक्सी बनाने वाले शब्द हैं-‘जैसा तुम सोचते हो वैसा ही मैं भी सोचती हूं’ या ‘तुम होते हो तो सब कुछ अच्छा लगता है और नहीं होते हो तो जीवन नीरस सा हो जाता है।’

आपको शायद नहीं पता, शब्दों में उफर्जा का प्रवाह निरंतर होता रहता है। मन को सूट करने वाले शब्दों से पाॅजिटिव उफर्जा प्रवाहित होती है और वह पार्टनर के मूड को आशिकाना बनाती है। जो शब्द मन को नहीं भाते हैं, वे निगेटिव उफर्जा से भरे हुए होते हैं और पार्टनर का अच्छा-खासा मूड भी इनसे बिगड़ जाता है।

जब आपका पार्टनर आपसे किसी चीज की उम्मीद करता है और आप स्वभाववश बड़ी लापरवाही के साथ मना कर देती हैं तो वह निराशा से भर जाता है। वह सोचने लगता है, आप के साथ दिल लगाकर उसने गलती की है। आप तो हर पल दिल तोड़ने वाली बातें करना जानती हंै। पिफर वह मानसिक तौर पर आपसे कटने लगता है। आपकी बातों को नजरअंदाज करने लगता है। आप कितना भी उसे विश्वास दिलाती हैं, लेकिन वह आपके लिए सहज नहीं बन पाता है और जो पार्टनर अपनी पत्नी के प्रति सहज नहीं होता, वह सेक्स को भी कोई अंजाम नहीं दे पाता है। रोमा जीवन के प्रति सहज न रही तो उसने कहां सेक्स को अंजाम दिया। बेहतर सेक्स जीवन के लिए आंखों में अपने जीवनसाथी के प्रति शर्म का होना जरूरी है। पति ने कहा कि चलो आज नाश्ते में दलिया ही बना दो और पत्नी ने नाक चढ़ाते हुए कह दिया कि कौन इतना झंझट करेगा। आज तुम ब्रेड-मक्खन से ही नाश्ता कर लो। इस तरह का सुझाव देते हुए पति की इच्छा की अवहेलना करने वाली पत्नियों की कोई कमी नहीं है। पत्नी ने दलिया भी नहीं बनाया और उफपर से सुझाव भी दे दिया कि ब्रेड-मक्खन लाकर नाश्ता कर लो। यह ब्रेड-मक्खन पति की नहीं, पत्नी की पसंद है। अब ऐसे में क्या पति का मूड आॅपफ नहीं होगा?बात भी नहीं मानना और उफपर से अपनी पसंद भी थोप देना आपसी तालमेल को बिखेर कर रख देता है और जब आपसी तालमेल बिखर जाता है तब रोमांस भी नहीं रहता है और जब रोमांस नहीं होता है तब प्यार का सोता भी सूख जाता है और जब प्यार का सोता सूख जाता है तब सेक्स भी नहीं होता है।
‘हां’ कहना सीखिए, कोई चीज मांगने पर मना न कर लाकर देने की आदत डालिए। रोमांस, प्यार और सेक्स इन तीनों के ही संगम से जीवन सहज बना रहता है।

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